उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में खेतों में पराली जलाने पर रोक लगाने की दिशा में ठोस पहल की गई है। शासन के निर्देश पर कृषि विभाग ने फसल अवशेष के प्रबंधन के लिए जिले की 10 ग्राम पंचायतों को 40 लाख रुपये का फंड जारी किया है। इससे ये पंचायतें, फसल अवशेष प्रबंधन के लिए जरूरी उपकरण खरीद सकेंगी जिसका लाभ गांव का हर किसान उठा सकेगा।
प्रत्येक पंचायत के खाते में चार-चार लाख रुपये भेजे गए हैं। एक-एक लाख रुपये पंचायतों को ग्राम निधि से लगाना होगा। यानी सभी को पांच-पांच लाख रुपये के उपकरण खरीदने होंगे। हाई कोर्ट एवं राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की सख्ती के बाद सरकार, पराली जलाने पर प्रभावी रोक लगाने के लिए किसानों को जागरूक करने के साथ ही फसल अवशेष प्रबंधन की दिशा में ठोस पहल कर रही है।
प्रदेश सरकार ने किसान सहकारी समितियां, गन्ना समितियां और ग्राम पंचायतों को फार्म मशीनरी बैंक स्थापित करने के लिए प्रमोशन आफ एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन फार इन सीटू मैनेजमेंट आफ क्राप रेजीड्यू योजना के तहत उपकरण खरीदने के लिए अनुदान की यह सुविधा दी है।
इन ग्राम पंचायतों को मिली धनराशि
बड़हलगंज ब्लॉक की ग्राम पंचायत शुक्लपुरी, बांसगांव की कोठा, सरदारनगर ब्लॉक की ग्राम पंचायत करमहा एवं बाल बुजुर्ग, पिपरौली ब्लॉक की ग्राम पंचायत बरहुआं, गोला ब्लॉक की ग्राम पंचायत बिसरा, पिपराइच ब्लॉक की ग्राम पंचायत मुंडेरी गड़वा, कौड़ीराम ब्लॉक की चवरिया खुर्द, खोराबार ब्लॉक का लालपुर टीकर एवं पाली का माधोपुर शामिल हैं।
ये यंत्र खरीदे जाएंगे
ग्राम पंचायतें पांच लाख रुपये की धनराशि से मल्चर, पैडी स्ट्रा चॉपर, श्रब मास्टर, रोटरी स्लेशर, रिवर्सिबल एमबी प्लाउ की खरीद कर फसल प्रबंधन के लिए इस्तेमाल कर सकेंगी।
कृषि उप निदेशक संजय सिंह ने बताया कि कंबाइन हार्वेस्टर के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम, स्ट्रा रीपर, स्ट्रा रेक एवं बेलर को चलाया जाना जरूरी है। मगर, जन प्रतिनिधियों एवं किसान प्रतिनिधियों की मांग पर शासन ने अब फसल अवशेष प्रबंधन के अन्य वैकल्पिक यंत्रों के इस्तेमाल के लिए मंजूरी प्रदान की है। लेकिन, कंबाइन हार्वेस्टर के संचालक की जिम्मेवारी होगी कि कटाई के दौरान फसल अवशेष प्रबंधन के लिए वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करते हुए कटाई करेंगे। यदि वैकल्पिक यंत्र का इस्तेमाल नहीं हुआ तो किसान और कंबाइन हार्वेस्टर के मालिक के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।